औरतें रोती नहीं - 11

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औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन Chapter 11 अनजाने द्वीप यह भी एक दुनिया है! दुनिया जहान से बेखबर लोग। कहां आ रहे हैं, कहां जा रहे हैं? इनके चेहरे इतने पारदर्शी क्यों नहीं? न यात्रा का उत्साह, न ठौर तक पहुंचने का रोमांच। कितना फर्क है विमान और रेल के यात्रियों में। इस समय अगर ट्रेन से जा रही होती, तो साथ बैठी व्यापारी की पत्नी अब तक अपना भूगोल-इतिहास बता उससे भी बहुत कुछ उगलवा चुकी होती। एक ही बार श्याम के साथ रेल में सफर किया था मन्नू ने। बहुत इच्छा थी तिरुपति जाने की। पढ़-सुन रखा था।