पागल-ए-इश्क़ (पार्ट -3)

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डूब कर तेरी तन्हाइयों में मुझें मर जानें दो.. !तिरे इश्क़ में जो मुझें सवर जानें दो.. !!रेनू शून्य थी पर मन में कई सबाल उठ रहें थे और वही रोहन मौन था.. तो वहां दयाल जी निशब्द थे.. रेनू की नज़रे दोनों पर प्रश्न चिन्ह की तरह टिकी थी.. रोहन ये पागल कौन हैं..? रोहन ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा था पता नहीं दीदी मैं तो अप्पा को बचपन से ही देखता आ रहा हूं. बिटिया आप तो खामखं परेशान हों रही हैं.. नहीं अंकिल जब उस पागल ने मुझें छुआ तो पता नहीं मुझें कुछ अलग सा महसूस हुआ.. बेटी वो बहुत नेक इंसान