एक बूँद इश्क - 3

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एक बूँद इश्क (3) चिड़ियों की चहचहाट से रीमा की नींद खुल गयी है। आसमान पर चाँदी की परत चढ़ी है जो काले बादलों से कलछा सी गयी है और बरसने के लिये गरज रही है। मौसम में एक धुँध है। जिसे देख कर मोर भी कुहुक रहा है। एक तरफ पीहू-पीहू की आवाज़ से लुभा रहा है तो दूसरी तरफ पक्षीयों की चहचहाहट खुशी के कणों को एकत्र कर रही है....दोनों एक दूसरें से प्रतियोगितामें लगे हैं..एक में शहद की मिठास है तो दूसरे में चाश्नी की, एक की सुर साधना सदियों से प्रशिक्षित किसी साधक की लगती है