तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... - 3 - कॉलेज के दिन

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पटना कॉलेज का विशाल प्रांगण अपनी विशालता से जितना प्रभावित करता है, नवागंतुकों को कहीं अंदर तक भयभीत भी करता है। मन में मंडराते बहुत सारे विचार, निडरता उस समय अपना आकार लेने लगते है जब सीनियर्स की टोली आप को घेर लेती है और उनकी टीका टिप्पणी आप के पोशाक तक जा पहुंचती है। "क्या तुम्हें मालूम नहीं है कि यह स्कूल नहीं है , कॉलेज है और यहाँ ये पोशाक नहीं चलता है ।" उनका निशाना मेरी मिडी पर होता है। हम चांद पर पहुंचने का दावा करने वाले अपनी सोच को पोशाकों से ऊपर ले ही नहीं जा पाते