अद्भुत प्रेम--(चतुर्थ पृष्ठ)

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प्रकाश के आ जाने से सुलक्षणा बहुत ही परेशान हो गई थी और प्रकाश भी उसे वहां देखकर चकित था, उससे अकेले में मिलने के बहाने ढूंढने लगा,सुलक्षणा को ऐसे परेशान देखकर, जीजी ने पूछा ही लिया,क्या बात है?बहु इतनी खोई-खोई और इतनी परेशान क्यो दिख रही हो, तभी सुलक्षणा जीजी के गले लगकर रो पड़ी, बोली जीजी मेरा अतीत मुझे जीने नहीं देता, मैं जितना भूलने की कोशिश करती हूं, घूम-फिर कर सामने आ ही जाता है, कहीं कान्हा के रुप में और कहीं............. रुक क्यो गई,अब आगे बोलेगी, जीजी बोली। सुलक्षणा बोली ये जो हमारे घर व्यापारी बनकर