अद्भुत प्रेम--(पृथम पृष्ठ)

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कहीं दूर एक गांव में, शाम का समय,सूरज डूबने जा रहा है,सूरज की हल्की रोशनी से आकाश का रंग गहरे नारंगी रंग का हो गया है, पंक्षियो के झुंड भी दिनभर टहलकर अपने अपन आशियाने की ओर लौट रहे हैं,एक नहर के किनारे ,गन्ने के खेत से खुसर-पुसर की आवाजें आ रही हैं। थोड़ी देर और रूको ना सुलक्षणा, अभी तो आई थी,प्रकाश बोला, अच्छा, थोड़ी देर, पता है,तीन बजे की घंटी बजी थी,दीवार घड़ी में तब की निकली हूं,घर से!जरा अपनी कलाई में बंधी, घड़ी तो देखो कितना बजा रही है,सुलक्षणा बोली। प्रकाश ने देखा, घड़ी शाम के छै