सेज गगन में चांद की - 2

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सेज गगन में चाँद की [ 2 ] लड़का उड़ती सी नज़र वहां फैले-बिखरे सामान पर डाल कर मन ही मन कुछ तौल ही रहा था कि धरा के सुरों का बदलाव उसे प्रतीत हुआ। धरा बोल रही थी--"क्या नाम है तुम्हारा ?"-"नीलाम्बर !"-"बहुत बड़ा नाम है।"-"घर में मुझे नील कहते हैं।" कहते-कहते लड़का संकोच से ज़रा झेंप गया।-"कौन है घर में?" धरा ने नज़र को ज़रा और गहरा, स्वर को ज़रा और मुलायम करके पूछ डाला। -"यहाँ तो कोई नहीं !"-"कोई नहीं है, मतलब?"-"यहाँ पर तो रिश्ते के एक चाचा के साथ रहता हूँ, बाकी लोग गाँव में हैं।"-"कौन सा गाँव?"