ख़ुशी - भाग-१

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‘मैं मुंबई से गोवा जा रहा था | दूसरी श्रेणी के वातानुकूलित डिब्बे में खिड़की के साथ वाली बर्थ पर मैं अभी आराम से बैठा ही था कि एक लड़की मेरे पास आ कर बैठ गई | कौतूहलवश मैंने उससे पूछा ‘मैडम आप.....’ | वह मेरी बात पूरी होने से पहले ही बोल उठी ‘मेरी रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं हो पाई है लेकिन टिकट निरीक्षक ने कहा है कि आप कहीं भी बैठ जाएँ मैं देखता हूँ, अगर आपको कोई परेशानी हो तो मैं कहीं और बैठ जाती हूँ’ | ‘नहीं, नहीं ऐसी कोई बात नहीं, आपको जब तक सीट नहीं