प्रतीक्षा।

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प्रतीक्षा...बेटे की कभी खत्म न होने वाली प्रतीक्षा और समय से पहले ही बीमारी दोनों ने शामलाल जी को गहरी खामोशी दे दी थी आज तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, आगे भी कभी - कभी ऐसा होता था...पर पत्नी के लिए शायद अति दुष्कर होता है ऐसी स्थिति में संयम रखना फिर चाहे उम्र का कोई पड़ाव हो... शायद ये इतना मायने नहीं रखता। बेशक सभी रिश्तों की अपनी- अपनी सीमाएं हैं ...बड़े बेटे अमित ने कहा ...मां पिताजी की तबीयत आज ज्यादा ही खराब लग रही है अगर आप बुरा न माने तो ... अनुज को फोन पे बता