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प्रतीक्षा।


प्रतीक्षा...

बेटे की कभी खत्म न होने वाली प्रतीक्षा और समय से पहले ही बीमारी दोनों ने शामलाल जी को गहरी खामोशी दे दी थी आज तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, आगे भी कभी - कभी ऐसा होता था...पर पत्नी के लिए शायद अति दुष्कर होता है ऐसी स्थिति में संयम रखना फिर चाहे उम्र का कोई पड़ाव हो... शायद ये इतना मायने नहीं रखता। बेशक सभी रिश्तों की अपनी- अपनी सीमाएं हैं ...बड़े बेटे अमित ने कहा ...मां पिताजी की तबीयत आज ज्यादा ही खराब लग रही है अगर आप बुरा न माने तो ... अनुज को फोन पे बता दूं ? ताकि वो आकर मिल ले... बात कर सके, पिताजी काफी समय से मिले भी नहीं अनुज से और उसकी याद में कितने उदास भी रहते थे... समय का क्या पता कल फिर अनुज नाराज़ हो... कि बताया भी नहीं।
रवाह है स्वार्थ में लिप्त अपना आप बनाकर इतना निर्मोही है गया है बाहर जाकर रहने लगा कभी मुड़कर देखा भी नहीं... कभी फोन करके हाल भी नहीं पूछा जब हार कर याद आती तो मैं और उसके पिताजी खुद ही अमित से भी असहज होते हुए कहते बेटा अनुज का हाल पूछना है फोन मिला दे ... पर अब तो धीरे - धीरे सब बदल रहा था हमने फोन भी कम कर दिया था , घर आकर कभी हमें मिलेगा या हाल पूछेगा ये प्रतिक्षा भी समय के साथ खत्म हो रही थी । एक झूठी आस मगर जाने क्यों बाकि थी कि वो हमें साथ लेकर जाएगा विदेश की सैर कराएगा , अपना आफिस, अपनी शान और शौकत की ज़िन्दगी में कुछ पल के लिए हमें भी भागीदार बनाएगा। अनुज के पिताजी ने दिन रात एक कर कितनी मेहनत से बच्चों को पढ़ाया कभी अपने सुख और जरूरतों पर भी ध्यान नहीं दिया ... विश्वास था कि जब मेहनत रंग लाएगी तो अपने दिन भी बदल जाएंगे ...अब जाकर अपने कर्त्तव्य से मुक्त हुए तो अब बीमारी ने आ घेरा था...अचानक अतीत की बातों से बाहर निकली और बेमन से ही कहा अच्छा अमित कर दे फोन अनुज को, क्योंकि उसके आने की प्रतीक्षा ने उनके अहसासों और जज़्बातों को क्षीण कर दिया था। अमित ने फोन कर दिया था ... अपने पति की सेवा में वो दिन रात लगी रही वो समझ गई थी कि अब जाने का समय आ गया है पर मन नहीं मान रहा था अपने आंसू पोंछती बस उनके ठीक होने की कोशिशें जारी रखीं और अनुज कितने दिन बीत जाने पर भी नहीं आया था आखिर पिताजी ने आखिरी सांस ली...अमित और मां बहुत रोए अनुज को मौत की खबर भी मिल गई थी और पिताजी की अपने बेटे को देखने की प्रतीक्षा अब सदा के लिए खत्म हो गई थी । अनुज का फोन आया अफसोस करने के लिए कि मां माफी चाहता हूं आ नहीं सका अब दसवें पर आऊंगा...मां ने फोन काट दिया था क्योंकि प्रतीक्षा की समय सीमा अब समाप्त हो चुकी थी।
मां तो जानती थी कि अनुज को अब घर की और उनकी कितनी प
कामनी गुप्ता***
जम्मू !

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