नीलांजना (थ्रिलर हॉरर कादम्बरी भाग-1)

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“हम तेरे बिन् अभी रेहे नहीं सकते... तेरे बिना क्या वजूद मेरा” कृति के पसंदीदा रिंग्टोन धीमि सी गुनsss गुनाsss रही थी उसकी मोबाइल, हालाँकि गेहरी नींद के गोद में सोयी रही पर उठ नहीं पायीं थी। उस तरफ़ से लगातार कोशिश करनेवाले ने भी ‘गिव्-अप्’ नहीं करते हुवे, हाथ धो के पीछे पड़े थे इस कुंभकरण की बेहन को उठाने की ज़िद से।भगीरथ प्रयत्न के पश्चात कृति की नींद भंग़ हो गयी और गालियोंzzz के साथ, नींद से थोड़ा होश सँभालती हुई अपनी हाथ, टेबल पे पड़ी हुई मोबाइल की ओर फैलयायी कॉल् रिसिव् करने... पर कॉल् क़ट् होगायी