ईश्वर चुप है - 3

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ईश्वर चुप है नीला प्रसाद (3) रंजना मंदिर की सीढ़ियां तय कर चुकी है। आंगन में प्रवेश कर रही है। अब देहरी पर घंटी बजा रही है। सिर पर दुपट्टा ओढ़ लिया है। आंखें बंद करके उस भगवान को देखना चाहती है, जिसकी इतनी महत्ता है.. उसे महसूसना, पा लेना चाहती है वह! वह उसमें प्रविष्ट हो जाए और उसे अपना ले - जैसे इतनों को अपनाया है। वह उसे उसी शांति से भर दे जिसकी खोज में यह मंदिर इतने लोगों से भरा हुआ है। वह उसके मनमोहन को ला दे। नहीं ला पाए तो इतना तो बता ही