ईश्वर चुप है नीला प्रसाद (2) ‘ढूंढिए न, जरूर मिल जायेंगे’, वह रट लगाए रही। इसी बीच पापाजी का फोन आया। वे दिल्ली पहुंच गए थे और किराएदारों वाले हिस्से में चाय पीने को रुक गए थे। फिर अपने घर चले जाते, जहां सफाई वगैरह का काम किराएदारों ने करवा दिया था। रंजना फोन उठाकर रोने लगी, कुछ बोल ही नहीं पाई। मिसेज शर्मा ने फोन उसके हाथ से लेकर पापाजी को सारी बात बताई। वे अपने बंधे सामान को जस - का - तस वापस टैक्सी में रख, मम्मीजी और मान्या के साथ स्टेशन की ओर चल दिए। बिना