चुनिंदा लघुकथाएँ - 4

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लाजपत राय गर्ग की चुनिंदा लघुकथाएँ (4) सोचा, थोड़ा पुण्य कमा लें... पुनीत सुबह सैर को जा रहा था। मेन रोड पर चार-पाँच युवक आने-जाने वालों को चाय और बिस्कुट लेने के लिये आग्रह कर रहे थे। उन्होंने सड़क के किनारे एक मेज़ पर चाय की बड़ी टंकी, डिस्पोजेबल गिलास और पार्ले बिस्कुट के छोटे पैकेट रखे हुए थे। पुनीत ने उनसे पूछा - ‘किस खुशी में चाय पिलाई जा रही है?’ ‘अंकल, आज मौनी अमावस्या है। सोचा, थोड़ा पुण्य कमा लें।’ ‘शाबाश, बहुत बढ़िया। लगे रहो।’ और पुनीत आगे बढ़ गया। लगभग एक घंटे की सैर के बाद लौटते