चुनिंदा लघुकथाएँ - 1

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लाजपत राय गर्ग की चुनिंदा लघुकथाएँ (1) माँ, माँ होती है आज राकेश जल्दी तैयार होकर वृद्धाश्रम पहुँचा। आज उसकी माँ का 80वाँ जन्मदिन है। उसने माँ के चरर्णस्पर्श किये, उनका मुँह मीठा करवाया। आशीर्वाद लिया। पूछा - ‘माँ, कोई तकलीफ तो नहीं?’ ‘बेटे, वैसे तो सब ठीक ही है, किन्तु कई बार दो-दो घंटे बिजली चली जाती है तो बुजुर्गों को इस गर्मी में बहुत तकलीफ होती है। अगर इन्वर्टर या जनरेटर लग जाये तो सभी बुजुर्ग तुम्हें आशीष देंगे।’ ‘माँ, कल ही इन्वर्टर और जनरेटर लग जायेंगे। और कोई तकलीफ?’ ‘कई बार बाहर के लोग बिना पूर्व सूचना