कहानी -- माफ करना पृथ्वीमृणालिनी के बालों में गजरा लगाते हुये धीरज ने कहा-"आज तुम बहुत प्यारी लग रही हो एकदम अप्सरा, मन कर रहा है तुम्हे देखता रहूँ और यूँ ही तुम्हारे पास बैठा रहूँ।""धीरज, तुम पृथ्वी को बहुत प्यार करते हो न ??" मृणालिनी ने धीरज की बात को अनसुना करते हुये कहा।धीरज उसके प्रश्न से असहज जरुर हो गया था मगर अन्दर ही अन्दर वो उसके उत्तर के लिये पहले से तैयार था। मुस्कराते हुये उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुये बोला-" हाँ मृणालिनी बहुत प्यार करता हूँ पर तुमसे ज्यादा नही""झूठ.....तुम झूठ बोल रहे हो""नही