कभी अलविदा न कहना - 18

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कभी अलविदा न कहना डॉ वन्दना गुप्ता 18 "मैं आज कॉलेज से सीधे ही घर निकल जाऊँगी, बैग लेकर आयी हूँ।" "क्यों..?" मेरी बात सुनकर रेखा ने यूँ सिर झटका मानो मैंने कोई वाहियात सी बात कही दी हो। "इसलिए कि मैं नहीं चाहती मेरी वजह से पार्टी का आनंद एक प्रतिशत भी कम हो.." "ओह! ये बात है... तुमने कैसे सोच लिया कि तुम्हारे जाने से पार्टी का आनंद बढ़ जाएगा?" "यदि नहीं भी बढ़ा तो कम से कम मेरा मुरझाया चेहरा देखकर फीका तो नहीं होगा।" "हम्म्म्म...." मेरी बात सुन रेखा ने दार्शनिक अंदाज़ में सिर हिलाया और बोली... "विशु!