दस्विदानिया (कहानी पंकज सुबीर) (3) इस बीच एक और घटनाक्रम हुआ था । वो ये कि एक बार राजेश और मैं अपने फाइनल के साथी लड़कों के साथ संडे को क्रिकेट मैच खेलने गये थे । उस दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरे मन में गाँठ पड़ गई। उस दिन लड़के राजेश को बार बार तुम्हारा नाम ले ले कर छेड़ रहे थे । हालाँकि राजेश उस सब में सहमति नहीं जता रहा था, लेकिन वो उस सबका कोई प्रतिरोध भी नहीं कर रहा था । मौन का नाम सहमति ही होता है । एक दो बार राजेश ने शायद