भदूकड़ा - 20

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किसी प्रकार गांववालों को समझा-बुझा के बाहर किया गया. बड़के दादा को दिल का दौरा पड़ा था, रात के किसी समय . ये अटैक इतना ज़बर्दस्त था, कि दादाजी किसी से कुछ बोल ही न पाये और चले गये. घर-गांव वाले ले के गये थे दादाजी को, लौटे खाली हाथ....!पूरा घर जैसे अनाथ हो गया......! पूरे गांव ने जैसे अपना पिता खो दिया...! चारों ओर सन्नाटा. घर में बच्चे तक शोर नहीं कर रहे थे. कुन्ती के दोनों बेटे अभी छोटे थे. शादी को अभी समय ही कितना हुआ था? कुल आठ साल!!!! झटका तो कुन्ती को भी लगा लेकिन