आओ चलें परिवर्तन की ओर... - 9

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मैं ज़िन्दगी में पहली बार अपने घर से दूर नये शहर और नयी जगह पर आया था | मन में एक अज़ीब सा डर लगा रहता था | अपने आप को हर समय यही समझाता था जो भी होता है वह सब ईश्वर की मर्जी से ही होता है | यह भी विचार आता था कि हो सकता है सोमेश के साथ रह कर मैंने जो भी सीखा अब उसे व्यावहारिक रूप देने का समय आ गया हो| नए ऑफिस में आने पर मैं शुरू-शुरू में तो काफी व्यस्त रहा | जैसे-जैसे रोज़मर्रा की दिनचर्या ठीक होने लगी वैसे-वैसे मेरा