"खुशनसीब" तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उस लेडी डॉक्टर ने अपना भाषण समाप्त किया। मैंने फटाफट कुछ पल अपने कैमरे में कैद कर लिये। जी नहीं,वह लेडी डॉक्टर चारु मेरी कोई नहीं थी। मैं तो यहाँ आई एम ए ऑडिटोरियम में पहली बार आया था फोटोग्राफर के रूप में। मेरी दस से पाँच बजे की ऑफिस की छोटी सी नौकरी से घर का खर्च,बच्चों की पढ़ाई,बाबू जी की दवा,ये सब नहीं चल सकते थे, इसलिये मेरे साहब ने अपने डॉक्टर दोस्त के जरिये मुझे यह