अजाब सिंह ने दिलबाग से जिस दिन आने का वादा किया था। उस दिन अजाब दिलबाग के पास ना जा कर नेहा के माता पिता की छान बिन में जुट जाता है। छान बिन करते समय अजाब के हाथ एक ऐसा ठोस सबूत लगता है। जिस से उसको इस गुथी का एक सिरा मिल जाता है। इसलिय वो सीधा नेहा के माता पिता के पास पहुँच गया।अजाब एक ओर कुर्सी पर बेठा हुआ अपने सामने बैठे नेहा के पिता किशोर यादव की ओर संदेह दृष्टि से देखे जा रहा था तभी नेहा की माता चाय ले कर आती है। और दोनों