दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 15

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 15-नंदू "ओय ---देख दीदी आ गईं ---" नंदू ने रिक्शा देखते ही चिल्लाकर अपने नौकर हेमू को आवाज़ दी | "दीदी ! नमस्ते ----" नंदू और हेमू दोनों के चेहरे खुशी के मारे खिल आए | दुकान पर खड़े सारे ग्राहक उस पैडल-रिक्शा की ओर घूमकर देखने लगे जिसे देखते ही दुकान-मालिक और उसका मुँहलगा सेवक फुदकने लगे थे | रात होते ही कुल्हड़ों की सौंधी सुगंध में सराबोर मोटी मलाई वाला दूध हाज़िर !नंदू खुद दूध लेकर आता और जब तक चीं -चपड़ करते बच्चे पी न लेते, वह उन्हें कहानियाँ सुनाता रहता