प्रकृति मैम - ठिकाने, ज़ायके, पोशाक

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ठिकाने ज़ायके पोशाकजब हम घर से कहीं बाहर जाने के लिए निकलते हैं तो एक उलझन मन ही मन हमें बेचैन करती रहती है। हम सोचते हैं कि दुनिया इतनी बड़ी, फैली बिखरी है, और फ़िर हमारा ये घर, हम किस किस बात का ख़्याल रखें!लेकिन जब हम बाहर दूर कहीं निकल आते हैं तो हमारी ये अकुलाहट धीरे धीरे स्वतः कहीं तिरोहित होती जाती है। अब हमारा ध्यान केंद्र धरती का वही कोण बन जाता है, जहां हम हैं!कोल्हापुर शहर एक शांत, सुसंस्कृत मध्यम आकार का शहर था। शुरू की दो - तीन रातें एक होटल में काटने के