मंज़िलों का दलदल - 2

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गुंजन का रुदन तेज़ होते जा रहा था शायद उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था... शायद वो ये सोच रही थी इन आसुओं से उसका किया गया गुनाह धुल जाएगा.... तभी सीला ने गुस्से में गुंजन को चांटे जड़ दिये... बिलकुल चुप अब अगर थोड़ी सी भी आवाज़ निकाली तो समझ लेना... तुम बाप बेटी ने तो मुझे गवार समझ रखा हैं... और भी तो लड़कियां हैं जो शहर में पढ़ाई कर रही हैं..... जभी मै सोचू कि तेरे पास इतने पैसे आ कहा से रहे हैं... तूने तो यही कहा था ना.... वो कुछ टाइम के लिए नौकरी