12. राजपथकुछ दिन बाद डाक के लिफाफे में बंद मेरी उस परीक्षा का परिणाम आया जो मैंने पिछले दिनों दी थी। मुझे साक्षात्कार के लिए चुन लिया गया था।ये पहला ऐसा साक्षात्कार था जिसमें वे सवाल नहीं पूछ रहे थे, बल्कि जिज्ञासा प्रकट कर रहे थे कि मैंने ये कैसे किया? वो कैसे किया? और मैं किसी परीक्षा के तनाव में नहीं, बल्कि अपने संचित आत्म विश्वास में डूबा उन्हें ऐसे संबोधित कर रहा था मानो वो मेरी किसी उपलब्धि पर मेरी "बाइट" लेने आया हुआ मीडिया हो!अन्तिम रूप से मेरा चयन बैंक राजभाषा अधिकारी के इस पद पर हो गया।