सबरीना - 18

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बाहर के तापमान की तुलना में गाड़ी काफी गर्म थी। ड्राइवर के सामने का शीशा जरूरत से ज्यादा बड़ा था। ऐसा लगता था जैसे हरेक सवारी को पहियों के सामने मौजूद सड़क को दिखाते रहने का इंतजाम किया गया हो। गाड़ी पुरानी थी, लेकिन उसकी आंतरिक सजावट काफी अच्छी थी। जोशीले युवाओं ने कुछ देर आपस में जोर-जोर से बातें की और फिर अपनी पसंद-नापसंद के हिसाब से सीटों की अदला-बदली कर ली। सुशांत ने एक बार पीछे की सीटों का जायजा लिया तो ज्यादातर सीटें युगल-सीटों में बदल गई थी।