थोड़ी देर और ठहर

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लम्बी कहानी-"थोड़ी देर और ठहर" -नहीं-नहीं, जेब में चूहा मुझसे नहीं रखा जायेगा. मर गया तो? बदन में सुरसुरी सी होती रहेगी. काट लेगा, इतनी देर चुपचाप थोड़े ही रहेगा? सारे में बदबू फैलेगी. कहीं निकल भागा तो? -कुछ नहीं होगा, ये साधारण चूहा थोड़े ही है, सफ़ेद चूहा है. गुलाबी आँखों वाला. रख कर तो देखो. उसने कहा. -पर इसे संभालेगा कौन? घोड़े के पैरों के नीचे आ गया तो ? -नहीं आएगा,घोड़ा है ही नहीं.विक्रमादित्य सिंहासन पर बैठा है, घोड़े पर नहीं. घोड़ा तो बाहर महल के अस्तबल में है. आखिर उसने मेरी एक नहीं