दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 1

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ऋचा पैंसठ की हो चुकी, बच्चों के शादी-ब्याह --सब संपन्न ! तीसरी पीढ़ी भी बड़ी होने लगी पूरे -पूरे दिन लगी रहती सबकी फ़रमाइशें पूरी करने में बहुत आनंद मिलता उसे फिर बहुत सी बातें भी सुनती --