फ़ैसला - 5

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सुगन्धा ने अपने का सिद्धेश की बांहों से छुड़ाते हुए कहा कि इस तरह का जीवन जीते हुए लगभग मुझे दो महीने बीत ही रहे थी कि एक दिन उसी अभय ने निर्लज्जता और नीचता की सारी हदें पर कर दीं। वह शाम को लगभग 8 बजे अपने उसी दोस्त मयंक के साथ शराब की बोतलें लिए हुए घर आया। उन दोनों के साथ में एक लड़की भी थी। वह सभी आकर बरामदे में रखी चेयरों पर बैठ गये। फिर क्या था! अभय ने मुझ पर आर्डर जमाना शुरू किया। मैं भी पानी, गिलास और प्लेंटे किचन से उठाकार उन लोगों के सामने रखी मेज पर रख दिया।