डॉमनिक की वापसी - 31

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शिमोर्ग और विश्वमोहन के जाने के बाद तुरंत अस्पताल से निकल पड़ने पर भी हम दोपहर बीतते-बीतते ही संगीत के पुराने गुरुकुल पहुँच सके. सचमुच ही वहाँ पहुँच के लगा था किसी ने अतीत में प्राण फूँक कर उसे जीवंत कर दिया है... कच्ची मुडेर से घिरे गोबर और लाल मिटटी से लिपे आँगन के बीचों-बीच झूमता विशालकाय नीम अतीत और वर्तमान में आवाजाही करता हुआ लगता था. वह कई कहानियाँ का गवाह था. आँगन के चारों ओर खपरैल की ढलवां छप्पर वाले कमरों के आगे छोटी-छोटी दालानें थीं. जिनकी दीवारों पे कई साल पहले की, अब बदरंग हो आई चितेवरी बनी थी. जिनमें केले के पेड़, हाथी-घोड़ा-पालकी, नाव-जाल-मछुआरे के चित्र कच्चे रंगों से बने थे. कच्ची ईटों के खम्बों पे वीणा, सारंगी, बाँसुरी, तबला जैसे बाद्य यंत्रों के चित्र बने थे...