डाॅ. साकिब मिर्जाएव बेहद उत्साहित और जोशीले आदमी लग रहे थे। उन्हें देखकर ऐसा लगा कि मां-बाप ने काफी ध्यान से उनकी परवरिश की थी। चलते हुए उनके पांवों की धमक साफ सुनी जा सकती थी। जब वे आगे रखने के लिए अपना पैर उठाते तो उनका पेट जैसे एक ओर लटक जाता और अगले कदम के साथ दूसरी ओर। मोटापे ने उनकी गर्दन को भी खत्म कर दिया था। मानो सिर को सीधे धड़ पर फिट कर दिया गया हो। खोपड़ी पर पूरा चांद उभर आया था। इक्का-दुक्का बाल कहीं-कहीं दिख रहे थे। लेकिन, कानों पर बालों का गुच्छा मौजूद था।