डोर – रिश्तों का बंधन - 1

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(1) साडा चिड़िया दा चंबा वे बाबुल असां उड़ जाना साडी लंबी उडारी वे बाबुल मुड़ नहीं आना' ढ़ोलकी की थाप पर जैसे ही गीत शुरु हुआ सुरेश की आंखों के कोर भीग गए। कैसा माहौल होता है बेटी की शादी में। घर में रौनक भी होती है और खुशियाँ भी पर दिल में बेटी की जुदाई का दर्द भी कम नहीं होता। अपने जिगर के टुकड़े को दूसरे घर भेजते समय एक पिता के दिल पर क्या गुज़रती है यह कोई सुरेश से पूछे, जो अपनी पांचवी बेटी की विदाई की तैयारी कर रहा था। पहले से ही चार बेटियों के पिता स