“इधर फेसबुक पर बने रहना एक फैशन हो गया है। मैं भी उस फैशन का शिकार हूँ। बच्चों और बीवी के साथ समय न बिताकर इस वर्चुअल कम्युनिटी सेंटर पर अपना समय बिताता हूँ। यह ग़लत है, मगर क्या कीजिए एक लत है। जिस तरह धूम्रपान और शराब की आदत होती है, उसी तरह ऑनलाइन रहना की भी एक व्यसन है”, डॉ. कोठारी शहर के जाने-माने मीडिया विशेषज्ञ थे। विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में आज ‘वर्चुअल दुनिया और हमारा समाज’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया था। डॉ. कोठारी के अतिरिक्त, मनोवैज्ञानिक डॉ. इला त्रिपाठी एवं शिक्षाविद डॉ. प्रेमशंकर उपाध्याय जैसे कुछ महत्वपूर्ण वक्ता इस विषय पर अपने विचार अभी रखनेवाले थे। कार्यक्रम की रूपरेखा में स्वयं आर्ट्स फैकल्टी के डीन डॉ. शिवशंकर श्रीवास्तव ने पूरी रुचि ली थी।