डॉक्टरों के राउन्ड के बाद हम कमरे में दाखिल हुए तो आँखों को विश्वास नहीं हुआ। न डॉमनिक की भूमिका निभाने वाले दीपांश जैसा गोरा रंग, न वे चमकदार दूर से ही बोलती आँखें। ये तो जैसे उससे मिलता-जुलता कोई और आदमी था। सिर पर पट्टी बंधी थी। गहरी चोट थी। बहुत खून बह गया था। अभी भी बड़ी हुई दाड़ी के कुछ बालों में खून लगा था। लोगों ने बताया था कि चोट से दिमाग के अन्दरूनी हिस्सों में कितना नुकसान हुआ है, वह कल सुबह सी.टी. स्कैन की रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगा। दीपांश के चेहरे पर शान्ति थी। वह इस एक साल में बहुत बदल गया था। हमें देखते ही हल्के से मुस्करा दिया, वही पुरानी परिचित मुस्कान.