उंगली को पकड़ कर सिखलाता, जब पहला क़दम भी नही आता… नन्हे प्यारे बच्चे के लिए, पापा ही सहाराआज भी याद आतें है बचपन के वो दिनजब उगली मेंरी पकडं कर आप ने चलना सिखाया।इस तरह जिन्दगी में चलना सिखायाकि जिन्दगी की हर कसौटी पर आपको अपने करीब पाया बन जाता।इस कहानी को लिखना एक ही मकसद है। क्यों की मेरी एक पागल मुस्कान को स्टोरी पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। और उसने मुझे कहा कि तुम गीत कार हो तो कहानी भी अच्छी लीखोंगे फिर मैने सोचा कहानी ही लिख