आसपास से गुजरते हुए - 15

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लगभग एक बजे शर्ली ने मुझे झकझोरकर उठाया, ‘खाना नहीं खाना?’ मैंने ऊंघते हुए कहा, ‘ना! तुम खा लो, मुझे भूख नहीं है।’ ट्रेन के हिचकोले क्लोरोफार्म का काम कर रहे थे या पिछले दिनों की थकान कि आंख खुल ही नहीं रही थी। तीनेक बजे मैं उठी। बाथरूम जाकर चेहरा धो आई। शर्ली पहले की अपेक्षा सामान्य लग रही थी। उसने मुझे देखकर शांत स्वर में पूछा, ‘चाय पिओगी?’