आसपास से गुजरते हुए - 12

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मैं दिल्ली आने से पहले साल-भर चेन्नई में थी। मैंने जैसे ही कंप्यूटर का कोर्स पूरा किया, मुझे मुंबई में अच्छी नौकरी मिल गई। जब उन्होंने मेरे सामने चेन्नई जाने की पेशकश की, तो मैंने स्वीकार कर लिया। सुरेश भैया नाराज हुए कि कोई जरूरत नहीं है जाने की। चेन्नई में तुम किसी को नहीं जानती, कहां रहोगी? कैसे रहोगी? पर मैंने जिद पकड़ ली कि मैं जाऊंगी। जिन्दगी के उस मुकाम पर मैं अकेली रहना चाहती थी। आई, अप्पा, भैया-सबसे दूर, अपने आप से भी दूर।