साल-भर बाद मैंने उस नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। बाटलीवाला मुझे छोड़ना नहीं चाहते थे, पर मैं अड़ गई कि मैं आगे पढ़ना चाहती हूं। सुरेश भैया ने मुझे इस बात पर लम्बी झाड़ लगाई। हम दोनों उनकी कार में चर्चगेट से अंधेरी आ रहे थे। हाल ही में भैया ने सेकेण्ड हैंड मारुति गाड़ी खरीदी थी। रास्ते में मैंने उन्हें बताया कि मैंने नौकरी छोड़ दी है। सुरेश भैया के माथे पर बल पड़ गए। ‘अनु, तू बहुत जल्दबाज होती जा रही है। ऐसे तो तू कभी किसी नौकरी में जम नहीं पाएगी।’ ‘ऐसा नहीं है। मैं जिन्दगी-भर सिर्फ एक कंप्यूटर ऑपरेटर बनकर नहीं रहना चाहती।’ मैंने तर्क दिया।