रात के बारह बजने को थे। मैंने फुर्ती से अलमारी से वोद्का की बोतल निकाली और दोनों के लिए एक-एक पैग बना लिया, ‘नए साल का पहला जाम, मेरी तरफ से!’ शेखर ने मुझे अजीब निगाहों से देखा, ‘अनु, मुझे वापस जाना है। चलो, एग पैग सही!’ मैंने घूंट भरा। सामने शेखर था। मुझे अच्छी तरह पता था वह शेखर ही है, अमरीश नहीं। मेरे होंठों के कोरों पर हल्की-सी मुस्कान आकर थम-सी गई। शेखर ने एक झटके में गिलास खत्म कर दिया और मेरा हाथ थामकर कहा, ‘विश यू ए वेरी हैप्पी न्यू इयर!’