मनचाहा (अंतिम भाग)

(109)
  • 10.3k
  • 3
  • 4.6k

रात को रवि भाई मुझे निशु के घर से ले जाने आए थे। मै जब नीचे अाई तब आंटी जी वहा नहीं थे। यह देखकर मुझे थोड़ा अच्छा लगा। मै उनसे नज़रे नहीं मिला पा रही हूं। अवि को छोड़कर जाने का मन तो नहीं करता पर क्या करूं? मै रवि भाई के साथ उनके घर चली जाती हुं। मै अब रवि भाई के मम्मी पापा को मेरे मम्मी पापा ही मानती थी और कहती भी थी। वे दोनों हमारे आने तक सो गए थे। मै अपने रूम में चली जाती हुं। हर प्रेगनेंट लेडी की तरह मुझे भी वॉमोटिंग