माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 13

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जब शंशाक को मनोज जी नेमाँल की नौकरी से निकाल दिया तब शंशाक और मैंने अपना खुद का बिजनेस स्टार्ट किया। शंशाक के बेहतर बिजनेस के लिए मैंने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। मैं शुरू से ही बहुत महत्वाकांक्षी महिला रही हूं। पेट्रोल कम्पनियों से टेंडर हासिल करने के लिए मैंने अपनी ईज्जत तक की परवाह नहीं की। फिर एक दिन मैंने यही बात शंशाक को बताई की टेंडर हासिल करने के लिए मुझे आला-अधिकारीयों के साथ पुरी रात गुजारनी पड़ी है, तब बजाये नाराज होने के उसने डायलॉग मारा- 'प्यार और जंग में सब जायज है मेरी जान महिमा।'