हर बात वो उनसे ही तो कह लेती थी इसीलिए आज माँ से ज्यादा भाभी की याद आ रही थी ! जो उसकी अपनी होकर भी अपनों से ज्यादा थी ! लेकिन वो उनको यह कैसे बताती कि उसे रवि धोका देकर चले गए हैं ! यही सब सोचते हुए वो बेंच से उतर कर कब प्रांगण के फर्श पर आ गई उसे पता ही नहीं चला, पूरी रात गुजर चुकी थी ! एक पल को झपकी नहीं आई, आंखों में भरे सुंदर सपने, अब आंसुओं में तब्दील हो गये थे। उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था, वह वापस घर नहीं जायेगी आत्महत्या भी नहीं करेगी। वह जियेगी, अपने प्रेम के लिए क्योंकि उसके भीतर का प्रेम जिंदा था, पूरी तरह से उबाल पर था !