कल्पना ने सोचा उसने ऐसा क्या कर दिया जो राजीव इतना नाराज हो गया और अभी पूजा में तल्लीन थी पापा टी0वी0 में तो उसने सोचा थोड़ी देर छत पर घूम आया जाये अभी खाने का भी समय नहीं है आठ ही तो बजा था, और फिर उसका मूड भी छत पर टहल कर अच्छा हो जायेगा थोड़ा ! मन समझा बुझा कर ठीक भी किया तो अब राजीव ने और ज्यादा डिप्रेस कर दिया वह छत पर आ गई ज्येष्ठ का महीना था उमस भरा, उस रात को चाँदनी रात पूर्णिमा के कारण पूरा चाँद आसमान में जगमगा रहा था। चाँदनी पूरे शबाब पर थी ।