राजीव आ गये थे । कल्पना ने उनको चाय नाश्ता दिया ओर वहीं शान्त मन से बैठ गई । राजीव ने उसे देखकर मुस्कुराया किन्तु वह शान्त ही रही । क्या हुआ आज हमारी बेगम को? वह कुछ नहीं बोली । अब ऐसे ही मुँह फुलाये रहोगी या बताओगी भी कि क्या बात है? कुछ नहीं राजीव थोड़ा सिरदर्द है तो मैं दबा दूँ ? नहीं रहने दो, ठीक हो जायेगा । तो चलो आज कहीं घूम कर आते हैं । नहीं, फिर कभी । आज हर बात में ना, यह कैसे संभव हुआ, ?