माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 3

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यह वही काजल थी जो कभी राजेश से बहुत चिढ़ा करती थी। गंगाराम जब जीवित थे तब उनके गांव में प्रत्येक बारह वर्ष में मनाया जाने वाला गांव गैर पुजा त्यौहार की प्रसिद्धी को करीब से अवलोकन करने मनोज अपने साथ राजेश को भी चोरल ले गये थे। वहीं दोपहर के समय पहली बार काजल ने रवि को देखा था। मनोज की आगवानी करने में गंगाराम व्यस्त हो गये। बड़े से आंगन में बहुत से महिला- पुरूष जमा थे। एक कोने में लड़कीयां फिल्मी गीतों पर नृत्य कर रही थी। गांव के ही किसी एक युवक ने जमीन पर खड़े हुये राजेश को बैठने के लिए कुर्सी दी।