न तौलना, न मापना, न गिनना कभी हूँ गर्भगृह में समाया निशब्द, निश्छल, निस्वार्थ, अडिग पवित्र प्रेम मैं ! ! होस्टल के कमरे में मनु ने हिलाकर उसे जगाते हुए कहा था, उठो भई, जाना नहीं है क्या ? राशी ने एकदम से चौंक कर घडी की तरफ नजर दौड़ाई ! जब घडी में साफ नजर नहीं आया तो उसने पास में पड़े मोबाईल का बटन किल्क करके देखा !