कामिनी के ब्याह को अभी एक साल भी न हुआ था कि उस का पति दिल के आरिज़े की वजह से मर गया और अपनी सारी जायदाद उस के लिए छोड़ गया। कामिनी को बहुत सदमा पहुंचा, इस लिए कि वो जवानी ही में बेवा हो गई थी। उस की माँ अर्सा हुआ उस के बाप को दाग़-ए-मुफ़ारिक़त दे गई थी। अगर वो ज़िंदा होती तो कामिनी उस के पास जा कर ख़ूब रोती ताकि उसे दम दिलासा मिले। लेकिन उसे मजबूरन अपने बाप के पास जाना पड़ा जो काठियावाड़ में बहुत बड़ा कारोबारी आदमी था।