भाग -5 से आगे अगली सुबह मैं थोड़ी जल्दी घर से निकला। रात भर सो तो नही पाया था फिर भी सुबह अपने आप ही नींद जल्दी खुल गयी। सोंचा कि पहले अस्पताल में मनोरमा बिटिया को देख लूंगा फिर गांव जाके रोज़ाना का काम निपटा लूंगा। ये भी तो देखना है कि आज चौहान साहब के दिल्ली से वापिस आने पर कौन सी नई कहानी शुरू होती है। मैं थोड़ी गई देर में अस्पताल पहुंचा। वहाँ पहुंच कर मैं मनोरमा के कमरे की तरफ़ जाने लगा कि देखा पुलिस वाले उसी कमरे से बाहर निकल रहे है। मैंने मन