औरत: कथाएँ और व्यथाएँ यशवन्त कोठारी (1)दहेज वे आपस में एक दूसरें को प्यार करते थे । (क्योंकि करने को कुछ नहीं था) वे एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे । (बिना नहीं रह सकने का मतलब अकेले रहने से है.... अकेलेपन से बचने हेतु वे साथी बदल लेते थे) समय आने पर मां-बाप ने लड़के की शादी दहेज के लिए कर दी । लड़का दहेज स्वीकार करने के अलावा कर क्या सकता था लड़की अधिक लालची परिवार में गयी। दहेज की मांग को लेकर स्टोव फटा और लड़की चल बसी । लड़के